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S-400 SAM: जानिए भारत का कवच ‘सुदर्शन’ क्या है, जिसने रात में पाक का हमला नाकाम कर दिया

Operation Sindoor: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत का रक्षाकवच कैसे बना S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, रूस से आए इस सिस्टम की क्या है खासियत.. सब यहां जानिए

ऑपरेशन सिंदूर’ से बौखलाए पाकिस्तान ने बुधवार रात भारत पर हमले की नाकाम कोशिश की थी. 15 शहर टारगेट पर थे. इसमें भारत के अहम सैन्य ठिकाने भी शामिल थे. लेकिन भारत के एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-400 SAM ने पाकिस्तान के मंसूबों को मिट्टी मे मिला दिया. कल रात पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया. भारत की तरफ बढ़ रहे उसके ड्रोन और मिसाइलों को खाक में मिला दिया गया. पाकिस्तान के किसी भी ऐसी हिमाकत को रोकने के लिए भारत के पास बॉर्डर पर अपना ‘सुदर्शन चक्र’ मुस्तैद खड़ा था. भारत के पास रूस से आया लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-400 SAM (सरफेस टू एयर मिसाइल) है. पाकिस्तान से आने वाले किसी भी मिसाइल को रोकने के लिए बॉर्डर पर तैनात भारत का ‘सुदर्शन’ भगवान कृष्ण के शक्तिशाली सुदर्शन चक्र के तर्ज पर भारतीय वायु सेना द्वारा इसे सुदर्शन कहा जाता है.

चलिए आपको बताते हैं कि S-400 SAM क्यों खास है. पाकिस्तान के पास मौजूद चीन के एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम HQ-9 से यह क्यों बेहतर है? सबसे पहले आप यह जानिए कि एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम होता क्या है.

S-400 SAM भी एक तरह का एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम. यह एक लंबी दूरी की सरफेस टू एयर टाइप का सिस्टम है. यानी यह सिस्टम खुद जमीन पर तैनात होता है और यहीं से मिसाइल फायर करके दुश्मन के रॉकेट-मिसाइल को हवा में ही मार गिराता है.

S-400 SAM को रूस के अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो द्वारा 1980 के दशक के अंत में विकसित किया गया था. दरअसल पश्चिमी देशों के पास उस समय MIM-104 पैट्रियट जैसा एयर डिफेंस सिस्टम था और उसी का मुकाबला करने के लिए रूस ने यह बनाया. इसका उद्देश्य 1960-1970 के दशक में बने S-200 और S-300 सिस्टम को की जगह लेना था. इसे ही भारत ने अपने लिए भी खरीदा है. दोनों देशों में पांच S-400 के लिए 35,000 करोड़ रुपये की डील हुई और इसपर 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे. इनमें से तीन S-400 स्क्वाड्रन पहले ही तैनात किए जा चुके हैं और चौथा इस से के आखिर में आएगा.

S-400 SAM क्यों है खास?

हर S-400 स्क्वाड्रन में 16 वाहन (व्हिकल) होते हैं, जिनमें लॉन्चर, रडार, कंट्रोल सेंटर्स और सहायक वाहन शामिल हैं. यह 600 किमी दूर तक हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है. S-400 चार प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है, जो 400 किमी तक की दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं. यह लड़ाकू विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन को रोक सकता है, जिससे यह भारत के डिफेंस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है. ये सिस्टम भारत की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं जिनका रणनीतिक अहमियत है.

पाकिस्तान के पास मौजूद चीनी HQ-9 से यह क्यों बेहतर है?

पाकिस्तान ने अपने एयर डिफेंस के लिए चीन से HQ-9 खरीदा हुआ है. अब उसकी कमी ये है कि खुद चीन ने अपने HQ-9 को रूस के S-300 एयर डिफेंस सिस्टम के आधार पर बनाया है. जब S-300 खुद S-400 से एक स्तर नीचे का एयर डिफेंस सिस्टम है, HQ-9 भारत के पास मौजूद S-400 के सामने कमजोर पड़ जाता है. HQ-9 में 200 किमी की रडार डिटेक्शन रेंज है जो मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए अनुकूलित है. लेकिन S-400 की तुलना में इसकी डिटेक्शन रेंज कम है और केवल मिसाइलों जैसे सीमित एयरक्राफ्ट को ही यह रोक सकता है.

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