Optimism Index: ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में बढ़ा विश्वास, जानिए भारत का मूड अब कैसा है?

सर्वे में उन मुद्दों का भी जिक्र किया गया है, जो भारत के नागरिकों के लिए सबसे अधिक चिंता वाले हैं. सर्वे अनुसार भारत में पांच सबसे चिंताजनक मुद्दे- मुद्रास्फीति, बेरोज़गारी, आतंकवाद, अपराध और हिंसा और वित्तीय या राजनीतिक भ्रष्टाचार है. 

नई दिल्ली:

भारत सरकार ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में कई आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट किया था. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. जिस तरह से भारत सरकार ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया, उससे सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि ये बात एक सर्वे में सामने आई है. सर्वे में कहा गया है कि लगभग दो-तिहाई भारतीयों ने ये माना ​​है कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. इप्सोस सर्वे के मई संस्करण के अनुसार, भारत राष्ट्रीय आशावाद (Optimism Index) में 3 प्रतिशत अंक की वृद्धि के साथ चौथे स्थान पर है. 

“सरकार और सशस्त्र बलों ने जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर को संभाला, उससे लोगों का सिस्टम में विश्वास मजबूत हुआ है. जिससे पता चलता है कि हमारा प्रशासन नागरिकों और देश दोनों के सर्वोत्तम हित में बाहरी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सुसज्जित है. इससे आशावाद को फिर से बढ़ावा मिला है.” 

बता दें इप्सोस दुनिया की जानी-मानी ओपिनियन रिसर्च कंपनी है, जो समय-समय पर इस तरह के सर्वे करती रहती है.

आशावाद सूचकांक में शीर्ष स्थान पर कौन से देश?

आशावाद सूचकांक (Optimism Index) में पहले स्थान पर 77% के साथ सिंगापुर है. दूसरे स्थान पर 69% के साथ मलेशिया है. तीसरे स्थान पर 67% के साथ इंडोनेशिया है. जबिक 65% के साथ भारत चौथे स्थान पर है. अर्जेंटीना (56%) पांचवें, थाईलैंड (45%) छठे और मैक्सिको (45%) सातवें स्थान पर है. सूची में सबसे निचले पायदान की बात की जाए तो, सबसे कम आशावाद वाले देश में पेरू (9%), दक्षिण कोरिया (15%), और फ्रांस (19%) शामिल हैं. जहां अधिकांश नागरिकों को लगता है कि उनका देश सही रास्ते पर नहीं चल रहा है. वहीं बात विश्व की कि जाए तो केवल 37% वैश्विक नागरिकों का मानना ​​है कि उनके देश सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. 63% वैश्विक नागरिकों को लगता है कि उनके देश जो काम कर रहे हैं, वो सही दिशा में नहीं है. 

सर्वे में जो दिलचस्प बात सामने निकलकर आई है वो ये है कि शीर्ष स्थान पर मुख्य रूप से ग्लोबल साउथ के देशों का कब्जा है, जो कहीं न कहीं वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में बदलाव का संकेत दे रहा है. 

भारत के टॉप 5 चिंताजनक मुद्दे

सर्वे में उन मुद्दों का भी जिक्र किया गया है, जो भारत के नागरिकों के लिए सबसे अधिक चिंता वाले हैं. सर्वे अनुसार भारत में पांच सबसे चिंताजनक मुद्दे- मुद्रास्फीति (37%), बेरोज़गारी (33%), आतंकवाद (26%),  अपराध और हिंसा (25%) और वित्तीय या राजनीतिक भ्रष्टाचार (21%) है.  हालांकि मुद्रास्फीति और बेरोज़गारी के मुद्दे पर 2% की गिरावट आई है. जबकि आतंकवाद में 11% की वृद्धि दर्ज कि हई है. 

वैश्विक स्तर पर, नागरिकों को परेशान करने वाले शीर्ष मुद्दों में पहले स्थान पर मुद्रास्फीति (33%) है. दूसरे स्थान पर अपराध और हिंसा (33%) है. तीसरे स्थान पर गरीबी और सामाजिक असमानता (29%) है. चौथे स्थान पर बेरोजगारी (27%) और पांचवें स्थान वित्तीय या राजनीतिक भ्रष्टाचार (26%) शामिल हैं.

अमेरिका वालों को किस बात की है चिंता

सर्वे में सामने आया है कि अमेरिका के नागिरक करों को लेकर चिंतित हैं. अमेरिकियों का अनुपात महीने भर में चार अंक बढ़कर पांचवां (20%) स्थान पर हो गया है, जो देश के लिए दस वर्षों में उच्चतम स्तर है.

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