निया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने आखिरकार यह स्वीकार कर लिया है कि फरवरी 2023 में तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान उसका अलर्ट सिस्टम समय पर चेतावनी देने में विफल रहा था। यह खुलासा तब हुआ जब कई विशेषज्ञों और नागरिकों ने सवाल उठाए कि गूगल का “एंड्रॉयड अर्ली वार्निंग सिस्टम” उस दिन चुप क्यों रहा, जब 7.8 तीव्रता का भूकंप हज़ारों लोगों की जान ले गया।
क्या था मामला?
6 फरवरी 2023 को तुर्की और सीरिया में सुबह-सुबह भीषण भूकंप आया था। इस आपदा में करीब 50,000 से अधिक लोगों की जान गई और लाखों लोग बेघर हो गए। आमतौर पर गूगल का Android Earthquake Alerts System ऐसे बड़े भूकंपों से पहले कुछ सेकंड का समय देता है ताकि लोग सतर्क हो सकें। लेकिन उस दिन लाखों एंड्रॉयड यूज़र्स को कोई अलर्ट नहीं मिला।
गूगल का बयान
गूगल ने अब आधिकारिक रूप से माना है कि तकनीकी कारणों और क्षेत्रीय डेटा सेंटर की सीमाओं की वजह से उनका अलर्ट सिस्टम सही ढंग से सक्रिय नहीं हो सका। कंपनी ने यह भी बताया कि उस इलाके में नेटवर्क कनेक्टिविटी और डेटा प्रोसेसिंग में आई रुकावट के कारण सिस्टम विफल हुआ।
गूगल ने एक बयान में कहा:

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विशेषज्ञों की राय
भूकंप विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अलर्ट सिस्टम सही समय पर सक्रिय हो जाता, तो हजारों लोगों को जान बचाने का मौका मिल सकता था। गूगल का यह सिस्टम सीस्मिक सेंसरों के डेटा का इस्तेमाल करके कुछ सेकंड पहले अलर्ट भेजता है, जो किसी भी आपदा में बेहद कीमती समय दे सकता है।
आगे की कार्रवाई
गूगल अब इस घटना के बाद अपने अलर्ट सिस्टम को और मज़बूत करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने नए डेटा प्वाइंट्स और बेहतर सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर लाने का वादा किया है।
जहां एक ओर तकनीक हमें सुरक्षा देती है, वहीं ऐसी विफलताएं यह याद दिलाती हैं कि किसी भी सिस्टम को लगातार अपग्रेड और मॉनिटर करने की जरूरत होती है। गूगल की यह स्वीकारोक्ति सराहनीय है, लेकिन इससे कहीं ज्यादा ज़रूरी है कि भविष्य में ऐसी चूक दोबारा न हो — खासकर तब, जब बात इंसानी ज़िंदगियों की हो।
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