जयपुर की दुकान ने बदल दिया एतिहासिक ‘मैसूर पाक,’ का नाम, नया नाम ‘मैसूर श्री’

भारत पाकिस्‍तान की टेंशन के बीच ही जयपुर में मिठाई की एक दुकान ने कई मिठाईयों का नाम बदल दिया है जिसमें एतिहासिक मैसूर पाक का भी शामिल है.

Bengaluru:

भारत और पाकिस्‍तान के बीच पिछले एक महीने से जारी तनाव के बीच कई ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं जो सुर्खियों में बने हुए हैं. दोनों देशों के बीच जारी तनाव के दौरान ही राजस्‍थान के जयपुर शहर में कई मिठाइयों का नाम बदल दिया गया है. यहां पर कई मिठाईयों के बीच ही एतिहासिक मैसूर पाक का नाम भी बदलकर मैसूर श्री कर दिया गया है. दुकानदार की मानें तो उन्‍होंने सभी मिठाईयों के नाम से ‘पाक’ हटा दिया है. पाक की जगह पर अब मिठाइयों के नाम में ‘श्री’ जोड़ा जा रहा है. 

क्‍या होता है पाक शब्‍द का मतलब 

दुकानदार ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘हमनें अपने सभी मिठाइयों के नाम से ‘पाक’ शब्‍द को हटा दिया है. अब ‘मोती पाक’ अब ‘मोतीश्री’ ‘गोंद पाक’ अब ‘गोंद श्री’ और ‘मैसूर पाक’ अब ‘मैसूर श्री’ होंगे.’ मिठाइयों में ‘पाक’ शब्‍द को पाकिस्‍तान से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि कन्‍नड़ भाषा में पाक का मतलब मीठा होता है. ‘मैसूर पाक’ कर्नाटक की एक मशहूर मिठाई है जिसका नाम मैसूर के नाम पर पड़ा है. इस मिठाई को शक्‍कर की चाशनी में मिलाकर बनाया जाता है. 

22 अप्रैल को जम्‍मू कश्‍मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के चलते भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है. इसे देखते हुए ही जयपुर में मिठाइयों का नाम बदला गया है. भारत, की तरफ से सात मई को पाकिस्‍तान पर कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च किया था. इस कार्रवाई में पाकिस्‍तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्‍तान की तरफ से भी मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए थे लेकिन भारत की तरफ से इन हमलों को बेअसर कर दिया गया. 10 मई को हुए सीजफायर के बाद फिलहाल थोड़ी सी शांति है. 

मैसूर पाक का शाही इतिहास 

मैसूर पाक का इतिहास 19वीं सदी से जुड़ा हुआ है. इतिहासकारों की मानें तो इस मिठाई को मैसूर पैलेस की शाही रसोई में खानसामे ने ईजाद किया था. इस मिठाई को महाराजा कृष्‍णराज वाडियार IV के शासनकाल में तैयार किया गया था. इस मिठाई को कुक काकसुरा मदाप्‍पा ने तैयार किया था. उन्‍होंने इस मिठाई को बेसन, शुद्ध घी और शक्‍कर के साथ मिलाकर तैयार किया था. एक स्‍वीट डिश के प्रयोग के तौर पर मैसूर के महाराजा को सर्व की गई यह मिठाई उन्‍हें इतनी पसंद आई कि महाराजा ने इसका नाम ही मैसूर शहर के नाम पर रख दिया. 

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